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International Journal of Reviews and Research in Social Sciences
ISSN (Print) : 2347-5145; ISSN (Online) : 2454-2687
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(03-Jan-2023) |
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(20-Dec-2016) |
Volume No. :
7
Issue No. :
4
Year :
2019
Pages :
756-760
ISSN Print :
2347-5145
ISSN Online :
2454-2687
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पण्डित मुकुटधर पाण्डेय के साहित्य में लोक-चेतना का अनुशीलन
बीरू लाल बरगाह
,
जयपाल सिंह प्रजापति
harishgeetu27@gmail.com
Address:
श्री बीरू लाल बरगाह1, डाॅ. जयपाल सिंह प्रजापति2
1शोधार्थी, पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) वि.वि. छत्तीसगढ़, बिलासपुर
2विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) वि.वि. छत्तीसगढ़, बिलासपुर
*Corresponding Author
DOI No:
ABSTRACT:
पण्डित मुकुटधर पाण्डेय संक्रमण काल के सामथ्र्यवान कवियों में से एक हैं । वे द्विवेदी युग एवं छायावादी युग के बीच की ऐसी महत्वपूर्ण कड़ी हैं जिनकी काव्य यात्रा को समझे बिना खड़ी बोली के विकास को सही रूप में नहीं समझा जा सकता। उनश्यास्वी साहित्यकारों में से पाण्डेय जी एक है जिन्हें हिंदी में उनकी कुछ रचनाओं से ही यथेष्ट ख्याति मिल गई । पाण्डेय जी की प्रसिद्ध रचना ‘कुररी के प्रति’ तथा ‘छायावाद’ लेख चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी की कहानी ‘उसने कहा था’ की तरह अमर रचनाएँ हैं । पण्डित मुकुटधर पाण्डेय ही छायावाद के जनक हैं ।
KEYWORDS:
शर्दुल=सिंह, तन्द्रा=हल्की नींद, थकान, भगिनी=बहन लख=देखकर कुररी=प्रवासी पक्षी क्रन्दन=विलाप करना, रोना तजकर=त्यागकर
Cite:
बीरू लाल बरगाह, जयपाल सिंह प्रजापति. पण्डित मुकुटधर पाण्डेय के साहित्य में लोक-चेतना का अनुशीलन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(4):756-760.
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